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कैराना के इतिहास पर ऐतिहासिक भाषण

1972 के आल इण्डिया मुशायरा में प्रसिद्ध शायर करीम-उल-अहसानी का
कैराना के इतिहास पर ऐतिहासिक भाषण

यह वह सरज़मीन पाक है कि जिस पर हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज मुईनुददीन चिश्ती अजमेरी ने क्याम फरमाया।
यह वह काबिले ताज़ीम कस्बा है कि जहाॅ उस्ताद अब्दुल करीम खाॅ ने जन्म लिया और अपनी मौसीक़ी से हिन्दुस्तान का नाम बुलन्द किया जिनके स्टेचू आज भी कई रेडियो स्टेशनों पर बने हुए हैं।
यह वह मुकद्दस धरती है कि जिसने मशहूर जमाॅ गुलूकार अब्दुल वहीद खाॅ को पैदा किया, जिनके हिन्द व पाक में आज भी बेशुमार शागिर्द मकबूल और मशहूर हैं।
यह वह कैराना है कि जहाॅ से शकूर खाॅ सारंगी नवाज उठे और अपने फन से रूस, अफगानिस्तान तक को मसहूर करके भारत का नाम रौशन किया और पदम श्री का खिताब पाकर कैराना की अज़मत को चार चाॅद अता किये।
यह वह कैराना है कि जिसने मुन्शी मुनक्का ऐसे तन्ज़ और मज़ाह गो शायर पैदा किये इसी कैराना ने डाक्टर तनवीर अल्वी से उस्ताद ज़ौक़ को ज़िन्दा जावेद कराया, और इसी कैराना ने शबाब कैरानवी को फिल्म इण्डस्ट्री पाकिस्तान में एक अहम मुकाम दिया।
तारीख में कैराना की हमेशा एक अहम्मियत रही है, यहाॅ के काश्तकार हिन्दुस्तान में सबसे ज़ियादा गल्ला और मिर्च पैदा करते हैं लेकिन वह आज भी साहूकार के मक़रूज़ हैं।
कैराना की एक खास अहम्मियत जमना के पुल से भी हुई है, इस पुल ने पंजाब, हरियाणा और देहली को यू.पी. से बहुत ही क़रीब कर दिया है, आज इसी कैराना में जानिबे जनूब और मशरिक़ मशहूर मेला छडियान की तक़रीबात के सिलसिले में एक महफिले शेअर ओ शुखन मुनअकिद हो रही है।

नोटः मुशायरे की उर्दू में सम्पूर्ण कमेन्टरी उनकी किताब में पढ सकते हैं।
कैराना के मुशायरा मैदान में बनी पानी की टंकी

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